Thursday, November 1, 2012

ज़िंदगी, तेरा साथ.


कामयाबी के लंबे इंतज़ार से उबास हो,
मुक़द्दर मेरा जमुहाई लेकर सोना चाहता था,
खुली आँखों से कल के सपने दिखाकर
इस नाकारा को मैने सोने ना दिया.

वक़्त के थपेड़ों की चोट का मारा
नसीब मेरा ज़ार ज़ार रोना चाहता था,
कुछ खट्टे कुछ मीठे क़िस्से सुनाकर
इस बेसहारा को मैने रोने ना दिया.

हर किसी को यूँ हताश देखकर
खुद का दिल ही मुझसे खोना चाहता था,
हाथ पकड़ा, और खुद के साथ चलाकर
इस आवारा को मैने खोने ना दिया.

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